Tamatar ki Kheti

Tamatar ki Kheti

Tamatar ki Kheti

Tamatar ki Kheti: इन दिनों आसमान रहे है छू, दिखने मे है लाल, किसानो को कर सकते है मालामाल! हां जी हम बात कर रहे है Tamatar ki Kheti कि! एक ऐसी फल जो एक सब्जी कि तरह यूज़ होता है, ये आमतौर पर काफी सब्जियों मे यूज़ होता है! पिछले कुछ समय से टमाटर ने आसमान कि उचाईयो को छुआ है!

कमर तोड़ती महंगाई मे इसने भी अपना अहम् किरदार अदा किया है! इसकी डिमांड कभी कम नहीं होती, और भाव भी अच्छा रहता है तो सही तरीके से अगर Tamatar ki Kheti कि जाये तो बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है! पहली बार इसे दक्षिण अमेरिका में पैदा किया गया था!

अगर बात करे भारत कि तो कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, महांराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, हरियाणा और पंजाब राज्यों में Tamatar ki Kheti कि जाती है! प्रति हेक्टेयर 700 से लेकर 1100 क्विंटल तक ली जा सकती है, जो
कि इसकी देखभाल और किस्मो पर निर्भर करती है!

इसका प्रयोग सूप, सलाद, चटनी, सॉस और दूसरी सब्जी के साथ मिलाकर खाद्य पदार्थ तैयार करने के लिए किया जाता है! टमाटर मे विटामिन C, विटामिन K, पोटैशियम, फोलेट (विटामिन B9), लाइकोपीन, फाइबर, पानी प्रचूर मात्रा मे होता है!

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टमाटर कि खेती कब करें

आमतौर पर Tamatar ki Kheti सालभर में 2 बार कि जाती है! एक जून – जुलाई से शुरू होकर जनवरी फरवरी तक चलती है! दूसरी नवंबर दिसंबर से शुरू होकर जून जुलाई तक चलती है है! मार्च-अप्रैल में टमाटर कि खेती कि जा सकती है, और इसमें मुनाफा भी अच्छा है! एक एकड़ में तक़रीबन 6000 पौधे तक लगाए जा सकते है!

टमाटर के पौधे लगाने के करीबन डेढ़ से 2 महीने बाद फल देना शुरू कर देते है! टमाटर कि नर्सरी 1 महीने पहले तैयार कर लेनी चाहिए यानी टमाटर के पौधे लगाने से एक महीने पहले बीजो कि रोपाई कर देनी चाहिए! बीजो कि बुआई करने के बाद हल्की सिचाई करनी जरुरी है! नमी बरक़रार रखने के लिए बीजो कि बुआई के ऊपर कोई शेड वगैरा रखे!

1 महीने बाद 10 से 15 सेंटीमीटर के होने के बाद पौधे खेत में बोने के लिए तैयार होते है! अगर खेत में दीमक या फंगस वगैरा कि शिकायत नहीं है तो खेती सिर्फ देशी या आर्गेनिक खाद से करे!

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हाइब्रिड टमाटर कि खेती

हाइब्रिड टमाटर में दो उच्च गुणवत्ता वाली टमाटर की किस्मो के टमाटर के फूलो का आपस में परागण किया जाता है! उससे जो फल तैयार होता है उसके बीजो को स्टोर किया जाता है! यही हाइब्रिड होता है!
इसमें किसानों को दुगना मुनाफा होता है! हाइब्रिड Tamatar ki Kheti में खाद दवा निराई गुड़ाई में कम खर्च में मुनाफा ज्यादा होता है। हाइब्रिड टमाटर कि काफी किस्मे मार्किट में अवेलेबल है जिनका आप
अपनी मिट्टी, पानी और जलवायु के चयन कर सकते है!

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टमाटर की हाइब्रिड किस्में:-

टमाटर की हाइब्रिड किस्में

करौलीन (Karolin):
यह एक उच्च उत्पादक किस्म है, जो आमतौर पर हल्की लालिमा के साथ बड़े फल देती है।

सुपर हॉट (Super Hot):
यह किस्म अच्छी पैदावार देती है और इसका स्वाद भी अच्छा होता है।

हैरी (Hari):
यह किस्म हरी सब्जियों के रूप में उपयोग की जाती है, जो काफी उत्पादक होती है।

अल्फा (Alpha):
यह किस्म जल्दी पकने वाली होती है और इसके फल आकार में बड़े होते हैं।

संजय (Sanjay):
यह किस्म गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी होती है।

राधिका (Radhika):
यह किस्म मध्य-उच्च उत्पादकता के साथ होती है और इसके फल लंबे समय तक ताजे रहते हैं।

सिद्धार्थ (Siddharth):
यह किस्म रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है और उच्च गुणवत्ता के फल देती है!

पंकज (Pankaj):
यह किस्म उच्च पैदावार के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर देती है।

अमृत (Amrit):
यह किस्म अत्यधिक उत्पादक और रोग प्रतिरोधी होती है।

सुजाता (Sujata):
यह एक ऊँचाई में बढ़ने वाली किस्म है, जो स्वादिष्ट और मीठे फल देती है।

करौलीन, सुपर हॉट, और सिद्धार्थ जैसी किस्में विशेष रूप से उच्च उत्पादकता और रोग प्रतिरोधकता के लिए जानी जाती हैं।

बेल वाले टमाटर की खेती कैसे करें?

यह भी टमाटर कि एक हाइब्रिड किस्म है जो अधिक उत्पादन के साथ कम समय में तैयार हो जाती है! इसकी बुआई ठंड के समय में कि जाती है! इस किस्म के बेलो को शेड के सहारे ऊपर चढ़ाया जाता है जिसका एक फायदा यह भी होता है के पाले व गर्मी का प्रकोप इस पर ज्यादा नहीं होता!

इसकी पैदावार कि बात करे तो सामान्य से 4 से 5 गुना ज्यादा होती है! इसकी बेलो कि लम्बाई 10 से 15 फ़ीट तक हो सकती है और पर पौधा पैदावार 15 से 22 किलो तक ले सकते है! हालाँकि यह एक नयी किस्म है लेकिन अब भारत मे भी इसकी खेती होने लगी है!

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टमाटर की खेती में कौन सी खाद डालें?

Tamatar ki Kheti में देसी खाद, जैसे गोबर की खाद और जैविक खाद, का उपयोग करना एक प्रभावी और प्राकृतिक विधि है। देसी खाद पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास बेहतर होता है। गोबर की खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो टमाटर के लिए आवश्यक हैं।

फायदे:उपज में वृद्धि: देसी खाद पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देती है, जिससे टमाटर की पैदावार में वृद्धि होती है।

पोषण संतुलन: जैविक खाद मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है, जिससे टमाटर का स्वाद और गुणवत्ता बेहतर होती है।

मिट्टी की संरचना: गोबर की खाद मिट्टी की संरचना को सुधारती है, जिससे जलधारण क्षमता बढ़ती है और मिट्टी में वायु संचार बेहतर होता है।

पर्यावरणीय लाभ: जैविक खाद का उपयोग प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल होता है, जिससे मिट्टी में जीवनदायिनी बैक्टीरिया और कीटाणुओं की संख्या बढ़ती है।

लागत में फर्क: हालांकि, देसी खाद का उपयोग करते समय शुरुआती लागत थोड़ी अधिक हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह आर्थिक रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकती है। जैविक खाद के उपयोग से उर्वरक की आवश्यकता कम होती है, जिससे कुल खर्च में कमी आती है।

इस प्रकार, देसी खाद का उपयोग Tamatar ki Kheti में न केवल पौधों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।

 

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